जीवन सत्य।।।।।
आसमान छोटा नहीं, दरिया की गहरायी बड़ी
मृत्यु अंत जीवन का ,जीवन का सत्य यही।
सच-झूठ, झूठ-सच इंसान में यूँ मिलते नहीं
क्या सही और क्या गलत है कोई पहचान सकता नहीं,
तेरा-मेरा, मेरा-तेरा महज़ एक श्ब्ब्द है
विधाता तक पहुँच कर कोई लौट सकता नहीं।
आसमान छोटा नहीं, दरिया की गहरायी बड़ी
मृत्यु अंत जीवन का ,जीवन का सत्य यही।
ज़िंदगी राख हो गयी नॉट छापने में
देह भी ख़ाक हो गयी सुख मापने में ,
जीवन तो चक्र है लौट कर आओगे वही
जब मिली थी ज़िंदगी नयी ,हाथ में था कुछ भी नहीं।
आसमान छोटा नहीं, दरिया की गहरायी बड़ी
मृत्यु अंत जीवन का ,जीवन का सत्य यही।
न मिला तुझे कुछ न मिला मुझे कुछ
साथ क्या ले जा पाओगे ,
जीवन की असीम इच्छाओ का
भोज कैसे उठा पाओगे ।
आसमान छोटा नहीं, दरिया की गहरायी बड़ी
मृत्यु अंत जीवन का ,जीवन का सत्य यही।
क्रोध पीड़ा सुख चैन सब यहीं छूट जायेंगे
कौन अपना कौन पराया कोई याद नहीं आएंगे ,
ज़िंदगी चलती है यूँ ही, ये तू कब जान पायेगा
एक दिन तो ये जीवन ठहर ही जायेगा।
आसमान छोटा नहीं, दरिया की गहरायी बड़ी
मृत्यु अंत जीवन का ,जीवन का सत्य यही।
-शैल्ज़ा गाथानिअा
jeevan satya
Reviewed by जीवन का सत्य
on
July 16, 2017
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