रात अंधियारी है तो क्या, रौशनी सी होगी सुबह
आज मुश्किले है तो क्या , वो भी होगी कल को धुआं II
हार कर बैठना मुश्किलों का हल नहीं ,
डट कर सामना कर लेंगे हम ,
यही साहस कभी छोड़ना नहीं I
हारे हुए को और कोई क्या हराएगा,
हारने का डर तो जीते हुए को डरायेगा,
तू होंसला है तू साहस है तू ही ढाल है,
डट कर आगे बढ़ तो सही,
तेरा ये वक़्त भी काम्प जायेगा I
रात अंधियारी है तो क्या, रौशनी सी होगी सुबह
आज मुश्किले है तो क्या , वो भी होगी कल को धुआं II
भवर में फास्सी नौका यहाँ वहां टक्करायेगी,
लेहरो से घिर कर वो भी चोट खायेगी,
लड़खड़ा कर टूट गयी तोह डूब जाएगी,
पर डट कर सामना करे तोह,
सागर भी पार कर जायेगी I
रात अंधियारी है तो क्या, रौशनी सी होगी सुबह
आज मुश्किले है तो क्या , वो भी होगी कल को धुआं II
- shailza gathania
raat andhiyari...
Reviewed by जीवन का सत्य
on
July 13, 2017
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