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kash..




                                              काश। ....... 


काश यूँ  तू अपना सा होता ,
मै  तुझमे और तू मुझमे कहीं होता। 

वो पल वो लम्हे आज भी उतने ही हसीं है ,
जितनी तेरी यादों के सपने रंगीन है। 
तेरी आँखों के बहे हर आंसू ने दिल को मोम बना दिया 
पर आज मेरा हर आंसू तूने पत्थर बना दिया। 

काश यूँ तू अपना सा होता ,
मै  तुझमे और तू मुझमे कहीं होता। 

हँसते है हंसाते है हर गम को गले लगाते  है ,
कोई पूछ ले तो मज़ाक से बन जाते है। 
पर तेरे प्यार को सवालों से बचाते  है ,
क्यूंकि आज भी तुझे हम अपना ही बताते है। 

काश यूँ  तू अपना सा होता ,
मै  तुझमे और तू मुझमे कहीं होता। 


 कैद है तेरी हंसी इन आँखों में ,
कैद है तेरी ख़ुशी मेरी बातों में ,
कैद है तू हरदम  मेरी यादों  में ,
तू यूँ आज़ाद न होता, अगर तू इस तरह मेरा न होता। 

काश यूँ  तू अपना सा होता ,
मै  तुझमे और तू मुझमे कहीं होता। 

                                                -shailza  gathania 




kash.. kash.. Reviewed by जीवन का सत्य on August 12, 2017 Rating: 5

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