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इंतज़ार। 

तुझसे प्यार कैसे करूँ ,
ये ख्याल मन  में आता है ,
और बस यहीं मन में रह जाता है।
तेरा इंतज़ार कैसे  करूँ ,
ये वक़्त रुक जाता  है ,
और बस यहीं  थम जाता है। 


 तू हसीं है तू जहान है ,
तू खुदा के समान है ,
तेरा सजदा करू या नहीं
यही ख्वाब सा रह जाता ,
  और आँखों में कहीं छुप सा जाता है।


  तू ही आशिकी   है, तू जुनूं है, तू ही सुकून है ,
या फिर खुदा ने रेहम फ़रमाया है ,
तेरी हर अदा का ज़िक्र  ,
 मेरी ज़ुबान पर आता है ,
  और बस यहीं ज़ुबान पर ठहर जाता है।


तुझसे प्यार कैसे करूँ ,
ये ख्याल मन  में आता है ,
और बस यहीं मन में रह जाता है।
तेरा इंतज़ार कैसे  करूँ ,
ये वक़्त रुक जाता  है ,
और बस यहीं  थम जाता है।         
                                            - शैल्जा  गथानिया
intezaar... intezaar... Reviewed by जीवन का सत्य on September 15, 2017 Rating: 5

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