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answers to life

आज मेरे लफ्ज़ो में वो आवाज़ नहीं है ,
आज मेरे गुनगुनाने में वो  साज़ नाहि है ,
मै सच कहती हूँ  ,
आज मेरे जीने में वो आराम नहीं है।  

 जिसे समझ न थी दुनिया की आज उसे समझ हो चुकी है 
सच कड़वा लगता है लेकिन ,कड़वी बात ही सही है 
वहम , छल और मुखोटो से ढकी  हुई है ज़िंदगी 
देख रही हु समाज की ये बढ़ती हुई दरिंदगी।  

मै सच कहती हूँ  
आज मेरे लफ्ज़ो में वो आवाज़ नहीं है ,
आज मेरे गुनगुनाने में वो  साज़ नाहि है ,

समाज की बात कर कर के लोग पाप करते है ,
इसलिए तो राम भी सीता का त्याग करते है,
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ये तो सभी कहते है ,
पर सच का पहलु तो कुछ और ही है ,
इसीलिए बेटी न हो लोग दुआ करते है। 

मै सच कहती हूँ  
आज मेरे लफ्ज़ो में वो आवाज़ नहीं है ,
आज मेरे गुनगुनाने में वो  साज़ नाहि है ,
  
सवाल कई है जवाब नहीं है ,
समाज की डोर का कोई छोर नहीं है। 
जीने भी न दे और मरने का सवाल नहीं है ,
समाज की बात अपने आप में ही नयी है। 

मै सच कहती हूँ  
आज मेरे लफ्ज़ो में वो आवाज़ नहीं है ,
आज मेरे गुनगुनाने में वो  साज़ नाहि है ,

सोचती हु वो दुनिया कैसी होगी 
जहाँ इंसान इंसान और दुनिया प्यार भरी होगी 
ये दुनिया तो कई टुकड़ो में बट चुकी है 
समाज के आगे ये तो कबसे झुक चुकी है। 

मै सच कहती हूँ  
आज मेरे लफ्ज़ो में वो आवाज़ नहीं है ,
आज मेरे गुनगुनाने में वो  साज़ नाहि है ,

किताबो में कुछ और और जीने  में कुछ और
 शिक्षको की शिक्षा हो चुकी है ,
मानते है लोग गुरुओ को पर नियत वही है ,
मानते है प्यार को पर जाती पे बात अड़ी  है। 
न जाने किस समाज से ये दुनिया जुड़ी  है 

( किस समाज को हम सदियों से ढो रहे है ,लड़की को 
दोस्त सावधानी से घर पोहंचा दे, उसे ये कुलटा कहते  है ,
और अकेली लड़की को भी उल्टा ही कहते  है। )
कैसे आज के मासूम भी सुरक्षित नहीं है ,
आजकल तो ये घटनाये भी कई है ,
कैसे अपनों की ही नियत बुरी है ,
लड़कियों को पैदा न करना ही सही है ?

मै सच कहती हूँ  
आज मेरे लफ्ज़ो में वो आवाज़ नहीं है ,
आज मेरे गुनगुनाने में वो  साज़ नाहि है ,

क्या ये दुनिया परियो की कहानी है? 
बहुत सुन्दर है जैसा नानी कहती है ?
ये सोच सोच कर बड़े होने का मज़ा  सा अता  है 
पर छीन ले कोई बचपन और सज़ा का मोड़ अता है।  

मै सच कहती हूँ  
आज मेरे लफ्ज़ो में वो आवाज़ नहीं है ,
आज मेरे गुनगुनाने में वो  साज़ नाहि है ,

अब तोह बचपन भी बचपन सा नहीं रहा है ,
बड़े होने और छोटे रहने में भी  कोई फर्क नहीं रहा है। 
वो भी ज़माना था जब दुनिया बचपन में ही अच्छी थी 
आज तो सवाल यही है कि  ये दुनिया कब सच्ची थी। 

आज मेरे लफ्ज़ो में वो आवाज़ नहीं है ,
आज मेरे गुनगुनाने में वो  साज़ नाहि है , 
मै सच कहती हूँ  ,
आज मेरे जीने में वो आराम नहीं है।  
               
                                           Shailza Gathania



answers to life answers to life Reviewed by जीवन का सत्य on February 08, 2018 Rating: 5

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